!! ॐ !!


Tuesday, October 11, 2011

!! करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ... !!



अगर दीन बनना ही है तो किसी और के सामने क्यूँ बनू...
अगर दीन बनना ही है तो, दीनानाथ के सामने क्यूँ न बनू...

इसलिए, हे मेरे श्यामसुन्दर, हे मेरे मनमोहन, हे दीनो के दाता...


तेरे दरबार में दाता, सुनाने दिल की आया हूँ...
करूँ  क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...
तेरे दरबार में दाता, सुनाने दिल की आया हूँ...
करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...



जिसे भी जानकर अपना, राज़ दिल का बता डाला...
हुआ क्या हाल मत पूछो, कलेजा ही जला डाला...
गैर तो गैर थे फिर भी, चोट अपनों की खाया हूँ...
करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...



तेरे दरबार में दाता, सुनाने दिल की आया हूँ...
करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...



जहान में शोर है ऐसा, नहीं कोई श्याम के जैसा...
निभाता प्रेम प्रेमी से, चलो देखू तू है कैसा...
सोचकर मन में ये मोहन, तेरे नजदीक आया हूँ...
करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...



तेरे दरबार में दाता, सुनाने दिल की आया हूँ...
करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...



तुम्हारे सामने मेरा, झुके ये शीश मनमोहन...
अगर तू देव है साँचा, तो दे मुझको वचन मोहन...
भरे दिल से, भरे मन से, जुबां पर शब्द लाया हूँ...
करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...



तेरे दरबार में दाता, सुनाने दिल की आया हूँ...
करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...



कोई साम्राज्य पाने की, नहीं चाहत प्रभु मेरी...
मगर चाहत तो है इतनी, निभे यारी तेरी मेरी..
'नंदू' ज्यादा मैं क्या बोलू, तुम्हे अजमाने आया हूँ...
करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...



तेरे दरबार में दाता, सुनाने दिल की आया हूँ...
करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...



तेरे दरबार में दाता, सुनाने दिल की आया हूँ...
करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...
तेरे दरबार में दाता, सुनाने दिल की आया हूँ...
करूँ क्या आपसे परदा, सोच परदा हटाया हूँ...



!! दीनबंधु दीनानाथ श्री श्यामसुन्दर की जय !!
!! दीनबंधु दीनानाथ श्री श्यामसुन्दर की जय !!
!! दीनबंधु दीनानाथ श्री श्यामसुन्दर की जय !!


भजन : "श्री नंदू जी"

1 comment:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति,बधाई!

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